लेखनी प्रतियोगिता -22-Apr-2022प्रेम पत्र
बहुत ही पुराने समय की बात है। उस समय मौबाइल फौन नही थे। यदि आपको किसी को अपने दिल की बात कहनी है तो उस समय उससे सीधे बोलो अथवा पत्र लिखकर बताओ।
एक गाँव में दो दोस्त रहते थे । एक का नाम रमेश व दूसरे का नाम सुरेश था। दौनौ एक ही स्कूल में पढ़ते थे। उनके गाँव मे दो लड़किया रहती थी एक का नाम रमा और दूसरी का नाम राधा था।
राधा के माता पिता ने अपनी बेटी को स्कूल नही भेजा था । जिससे वह पढ़नही सकी। जबकि रमा गाँव के स्कूल में पढ़ती थी।
रमा जब स्कूल जाती तभी रमेश भी स्कूल जाता था दौनौ जवान थे। दौनौ की आँखें चार हुई और एक दूसरे को दिल ही दिल में वह एक दूसरे को प्यार करने लगे।
रमेश बहुत ही डरपोक व शर्मीला भी था अब वह रमा को बताना भी चाहता था परन्तु रमा के पिता से डरता था। क्यौकि रमा का बापू पहलवान था। रमा के बापू से गाँव के सभी लोग डरते थे क्यौकि पहलवान का मौटा दिमाग होता है।
सुरेश राधा से प्यार करता था। परन्तु राधा उसे प्यार नहीं करती थी बैसे भी राधा का बापू बहुत ही शक करता था वह अपनी बेटी को कहीं भी अकेली नहीं भेजता था।
दौनौ दोस्तौ ने अपने अपने प्यार की बात एक दूसरे को बताई। अब दौनौ ने अपनी अपनी वाली को प्रेम पत्र लिखकर देने की सोची।
सुरेश बोला," देख रमेश मेरा भी पत्र तूही लिखदेना क्यौकि मेरी लिखाई बहुत खराब है और मैने कभी पत्र लिखा ही नही है जिससे मुझे पत्र लिखने का अभ्यास भी नही है।
रमेश खुश होगया क्यौकि वह बहुत चालाक था। उसने दौनौ प्रेम पत्र स्वयं ही लिख दिए। यह पत्र सुरेश को दिखाने की भी नही सोची
रमेश दौनौ प्रेम पत्र लिख दिए। उसने चालाकी करके पत्र के नीचे दौनौ प्रेम पत्रौ मे अपना नाम ही लिख दिया। रमेश ने दौनौ के साथ रंग रेलिया मनाना चाहता था। इसका आभास सुरेश को नही था
अब वह दौनौ अपने अपने पत्र उन दौनौ के पास भेजना चाहते थे। उनके मुहल्ले में एक छोटा बच्चा रहता था। वह बच्चा दौनौ राधा व रमा के घर आता जाता था।
अतः उन दौनौ ने उस बच्चे को ही पत्र पहुँचाने का जिम्मा सौपने के लिए उस बच्चे को लालच दिया। बच्चा लालच में फस गया और उसने उन दौनौ को चुपचाप पत्र दे दिए।
रमा रमेश का प्रेम पत्र पढ़कर बहुत खुश हुई। रमेश ने पत्र मे एक पुरानी खन्डहर बिल्डिंग में मिलने को भी लिखा था।
रमा उससे मिलने के लिए आतुर होरही थी तभी उसकी सहेली राधा अपना प्रेम पत्र पढ़वाने के लिए रमा के पास लेकर आई। उसे पता था कि यह पत्र सुरेश ने भिजवाया है।
जब रमा ने उसका पत्र पढा़ तब उसका दिमाग में चक्कर आगया। क्यौकि जो रमेश के पत्र में लिखा था वही इस पत्र में भी लिखा था नीचे लिखनेवाले का नाम भी रमेश ही था वही राधा को आने के लिए लिखा था।
अब रमा के गुस्से का पारा सातवें आसमान पर था ।उसने सोचा कि यह साहब डबल गेम खेलना चाहते है। उसने राधा के साथ मिलकर उसको मजा चखाने का प्रोग्राम बना लिया।
रमा ने सबसे पहले राधा को उससे मिलने के लिए भेजा रमेश को इस बात पता ही नही था किजो खेल तू उनके साथ खेलना चाह रहा है वह भी तेरी गुरू है।
जैसे ही वह राधा से मिलकर प्यार का इजहार करना चाह रहा था उसी समय रमा वहाँ पहुँच गयी।
रमा को देखकर उसका चेहरा पीला पड़ गया क्यौकि उसकी चोरी पकडी़ जा चुकी थी अब उसे आभास हुआ कि उसने भूल से दौनौ को मिलने का एक ही जगह व एक ही समय दिया था।
वह रमा से माँफी माँगने लगा। रमा ने उसे बहुत फटकारा और वह उससे बोली," मिस्टर तुम जैसे लोगो ने ही तो इस ढाई अच्छर के नाम प्यार को बदनाम कर दिया है। एक साथ दो नावौ पर सवार होना चाहते हो।"
रमेश उससे बार बार छमा मांग रहा था। रमा वहाँ से नाराज होकर जाने लगी और बोली," अब मै तेरा यह प्रेम पत्र बापू को दिखाऊँगी। "
अब वह और अधिक भयभीत होगया परन्तु रमा उन दौनौ प्रेम पत्रौ को फाड़कर वहाँ से चली गयी। उसके साथ ही राधा भी चलीगयी
इस घटना के बाद राधा और रमा दौनौ ने उन दौनौ से मिलना बन्द ही कर दिया।
Shnaya
23-Apr-2022 09:42 PM
Very nice 👍🏼
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Shrishti pandey
23-Apr-2022 09:08 PM
Nice
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Punam verma
23-Apr-2022 04:14 PM
Bahut khoob
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